कहानी उन दिनो की है जब रवि मेरठ से पॉलिटेक्टनीक की पढ़ाई खत्म करके अपने घर वापस आया था। रवि उस वक्त बहुत ही परेशान रहता था एकदम खोया हुआ अकेला बेचैन,किसी से जल्दी मिलता जुलता भी नही था उसको कोई चीज अंदर ही अंदर मानो जैसे मार रही हो,
उसने ग्रेजुएशन करने को सोचा और एडमिशन ले लिया और कुछ महीने बाद ही उसका एग्जाम का समय आ गया
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